कोर्ट में पेशी पर हाजिर न होने पर क्या होता है?
देखिये जमानत इस बात की दी जाती है की आरोपी हर सुनवाई पर कोर्ट में पेश होता रहेगा. इसके लिए उससे एक जमानती पेश करने को कहा जाता है और बेल बांड भी लिया जाता है. अब अगर आरोपी कोर्ट में पेशी पर हाज़िर नहीं होता है तो उसके द्वारा जमा किये गए बेल बांड को जब्त कर लिया जाता है

Court Peshi in Hindi - 2016 में मेरे एक दोस्त ने एक लड़की का पीछा किया था तो लड़की ने पुलिस में रिपोर्ट लिखा दी थी जिस के कारण आईपीसी सेक्शन 354 डी में कोर्ट केस हुआ और अदालत में जमानत हुई। फिर सीआरपीसी सेक्शन 107 में भी पाबंद किया गया। लेकिन मेरा दोस्त जमानत के बाद अदालत में हाजिर नहीं हुआ तो इस से मेरे दोस्त को क्या नुकसान हो सकता है? –रोहित चौहान,चंडीगढ़
जवाब: आप के दोस्त की 354 आईपीसी के केस में जमानत हुई थी इस का सीधा मतलब है कि पुलिस ने अदालत में charge sheet दाखिल की थी। जमानत इस बात की थी कि आप का दोस्त सुनवाई के लिए हर पेशी पर अदालत में हाजिर होता रहेगा। अब आप का दोस्त अदालत में पेशियों पर हाजिर नहीं हुआ है तो उस के द्वारा जमा किये गए बेल बांड को जब्त कर के उस के नाम से गिरफ्तारी वारंट जारी किया जायेगा या जारी किया जा चूका होगा।
आप के दोस्त का करंट एड्रेस कोर्ट के रिकार्ड में न होने की वजह से वारंट उस तक नहीं पहुंच पाया होगा। कई पेशी पर भी वारंट की तामील न होने पर आप के दोस्त को फरार घोषित कर उस की प्रॉपर्टी को कुर्क करने का आर्डर और Permanent arrest warrant जारी किया जा सकता है। आप के दोस्त के मिल जाने पर पुलिस उसे गिरफ्तार कर के अदालत के सामने पेश कर सकती है जहाँ से अदालत यदि फिर से उसको जमानत पर न छोड़े तो जेल भेजा जा सकता है। जब तक इस मुकदमे का फैसला न हो या वही अदालत या उस से ऊँची अदालत जमानत पर छोड़े जाने का आदेश पास न करे और जमानत पेश न हो तब तक उसको जेल में रहना पड़ सकता है।
इस का सलूशन ये है कि आप के दोस्त को जमानत कराने वाले वकील से मिलना चाहिए और उस अदालत में जहाँ उस की जमानत हुई थी जा कर उस मुकदमे में फिर से जमानत करानी चाहिए। पुरानी जमानत जब्ती का जुर्माना जो भी हो वह जमा करना चाहिए और पेशियों पर हाजिर हो कर मुकदमे को समाप्त कराना चाहिए। इस तरह के मुकदमे लोक अदालत में गलती स्वीकार करने पर मामूली जुर्माना जमा कर के भी समाप्त कराए जा सकते हैं।
बेसिकली फ्रेंड्स इनका सवाल है की जमानत मिलने के बाद अगर आरोपी कोर्ट में पेशी पर हाज़िर नहीं होता है तो उसको क्या नुकसान हो सकता है? देखिये जमानत इस बात की दी जाती है की आरोपी हर सुनवाई पर कोर्ट में पेश होता रहेगा. इसके लिए उससे एक जमानती पेश करने को कहा जाता है और बेल बांड भी लिया जाता है. अब अगर आरोपी कोर्ट में पेशी पर हाज़िर नहीं होता है तो उसके द्वारा जमा किये गए बेल बांड को जब्त कर लिया जाता है और उसके गिरफ़्तारी का वार्रेंट जारी किया जाता है. अगर आरोपी वार्रेंट के बाद भी पेशी पर हाज़िर नहीं होता है तो उसको फरार घोषित कर दिया जाता है और उसकी प्रॉपर्टी को कुर्क करने का आर्डर जारी कर दिया जाता है.
तो ऐसे हालात में आरोपी को जल्दी ही दोबारा जमानत करानी चाहिए और पिछली जमानत जब्ती का जो भी जुर्माना हो उसको जमा करना चाहिए वरना उसको जेल जाना पड़ेगा.