गाड़ी चोरी होने पर क्या करे?

गाड़ी चोरी हो जाए तो सबसे पहला काम है उसकी एफआईआर कराना। इससे गाड़ी मालिक कई तरह से सेफ हो जाता है। इसके अलावा गाड़ी बेचते समय भी कुछ कानूनी नुक्तों का ध्यान रखना जरूरी है।

गाड़ी चोरी होने पर क्या करे?

#चोरी होने पर एफआईआर : दफ्तर, घर या किसी पार्टी से बाहर निकलते ही अगर किसी को यह पता चलता है कि उसकी गाड़ी चोरी हो गई है, तो सबसे पहले उसे पुलिस को 100 नंबर पर कॉल करना चाहिए। उसे यह भी बताना चाहिए कि गाड़ी उसने कितने बजे पार्क की थी और उसे कब पता चला कि गाड़ी गायब हो गई है। इसके बाद एफआईआर कराना जरूरी है। पीसीआर कॉल करने से एफआईआर कराने में मदद मिलेगी। एफआईआर में यह लिखना भी जरूरी है कि गाड़ी कितने बजे गायब हुई।

अगर किसी की गाड़ी गायब हो जाए और एफआईआर कराने में वह घंटों की देरी कर दे, तो उसे नुकसान हो सकता है। हो सकता है, इन घंटों के दौरान उस गाड़ी से किसी वारदात को अंजाम दे दिया जाए। अगर ऐसा हुआ तो जिम्मेदारी गाड़ी मालिक की बनेगी। मान लीजिए, किसी की गाड़ी शाम 5 बजे चोरी हुई। यह शख्स न तो पीसीआर कॉल करता है और न तुरंत एफआईआर कराता है, बल्कि खुद ही गाड़ी की तलाश करने लगता है।

अगली सुबह यह शख्स जब एफआईआर कराने पहुंचता है, तो उसे पता चलता है कि रात को उस गाड़ी का इस्तेमाल किसी की हत्या करने में किया गया। ऐसे में शक की पहली सूई गाड़ी के इस निर्दोष मालिक की तरफ आ गई। अगर इस शख्स ने वारदात होने से पहले ही एफआईआर दर्ज करा दी होती तो उसका बचाव हो जाता। अगर एफआईआर उससे पहले दर्ज नहीं है, तो पुलिस पहली नजर में गाड़ी मालिक के खिलाफ वही दफा लगाती है, जो उस वारदात में बनती है।

ये तो गाड़ी चोरी होने के बाद फ़ौरन लेने वाला एक्शन है लेकिन आपको अपनी गाड़ी चोरी होने के बाद 4 काम करने चाहिए:-

  1. जमा करें सारे जरूरी कागजात - सबसे पहले अपने गाड़ी के सारे पेपर्स इकट्ठा करें. जैसे की आरसी, इंश्योरेंस के पेपर्स, ड्राइविंग लाइसेंस. हमेशा ओरिजनल की फोटो कॉपी अपने पास रखें. ऐसे में अगर ओरिजनल कॉपी भी गाड़ी के साथ चोरी हो जाती है तो आपके पास दस्तावेज की कॉपी तो होगी.
  2. एफआईआर लिखवाएं - आपके साथ हुई दुर्घटना का पूरी जानकारी देते हुए एक एप्लीकेशन लिखें और इसे नजदीकी पुलिस थाने में जाकर जमा करें. पुलिस कंप्लेन के साथ ही गाड़ी के कागजात भी जमा करें. आपकी कंप्लेन के आधार पर पुलिस एफआईआर लिखेगी और कार्यवाई शुरु करेगी.
  3. बीमा कंपनी को सूचित करें - पुलिस में कंप्लेन करने के बाद आप बीमा कंपनी को गाड़ी चोरी होने की जानकारी दें. इंश्योरेंस क्लेम के फॉर्म को सारे दस्तावेजों के साथ जमा करें. क्लेम के साथ आरसी की कॉपी, बीमा पॉलिसी की कॉपी, एफआईआर की कॉपी लगाना न भूलें. जल्द से जल्द इंश्योरेंस के लिए क्लेम करें.
  4. आरटीओ को भी सूचित करें - बीमा के लिए क्लेम करने के बाद आपको आरटीओ ऑफिस में भी गाड़ी चोरी होने की जानकारी देनी होगी. शिकायत पत्र के साथ सारे दस्तावेजों की कॉपी भी लगाएं. एफआईआर की कॉपी और क्लेम की कॉपी भी जरूर लगाएं.इसके साथ ही अगर आपके पास अपनी गाड़ी की तस्वीर है तो वो भी जमा करें. शिकायत की रसीद लेना भूलें.

इन सब के अलावा जो सबसे जरूरी है, वो है पीछे पड़े रहना’. आप उस देस के बाशिंदे हैं, जहां लोगों को मुफ्तखोरी की आदत है, पर मुफ्त में कोई काम नहीं कर सकते. भले ही वो काम मुफ्त में करने की कानूनी पाबंदी ही क्यों न हो. इसलिए अपने जूते घिसने के लिए भी मानसिक तौर पर तैयार रहें. क्योंकि ईमानदारी का फल हमेशा मीठा नहीं होता. इसके साथ ही हर ऑफिस में जाकर अपने कंप्लेन की जानकारी जरूर लें.

#गाड़ी बेचने पर पेपर ट्रांसफर : गाड़ी बेचते वक्त भी कई सावधानियां बरतने की जरूरत है। अगर कोई शख्स अपनी गाड़ी बेचता है तो सेल लेटर के साथ-साथ अपने तमाम दस्तावेज खरीदने वाले को सुपुर्द करता है। अगर गाड़ी खरीदने वाले की मंशा कुछ और हो और वह इस सेल लेटर को अथॉरिटी में जमा न करके गाड़ी से कोई वारदात कर दे, तो जिम्मेदारी पहले वाले मालिक की होगी, क्योंकि पुलिस छानबीन में उसके नाम पर ही गाड़ी का रजिस्ट्रेशन नंबर मिलेगा।

ऐसे में गाड़ी बेचने के वक्त बेचने वाले को यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि गाड़ी के पेपर गाड़ी खरीदने वाले के नाम ट्रांसफर हो गए हैं। बेचने वाले को अपने नाम से एक लेटर बनवा लेना चाहिए, जिसमें गाड़ी खरीदने वाले का नाम, खरीद का समय और तारीख का जिक्र होना चाहिए। उस लेटर पर खरीदने वाले के दस्तखत के साथ-साथ दो गवाहों के दस्तखत भी होने चाहिए। इससे बेचने वाला सेफ हो जाता है।

#ड्राइवर के पास हो लाइसेंस : गाड़ी मालिक को ज्यादा सचेत रहने की जरूरत है। अगर किसी शख्स ने गाड़ी चलाने के लिए ड्राइवर रखा है, तो ड्राइवर के पास वैलिड लाइसेंस होना जरूरी है। ऐसी सूरत में अगर ड्राइवर की लापरवाही से कोई सड़क हादसा होता है तो ड्राइवर के खिलाफ क्रिमिनल केस बनेगा, लेकिन किसी ने अपनी गाड़ी किसी जानने वाले को दी हो, तो हादसे की जिम्मेदारी गाड़ी मालिक की होगी। ऐसे में गाड़ी वाले को यह साबित करना होगा कि घटना के वक्त उसका रिश्तेदार गाड़ी चला रहा था।