ऑडियो विडियो रिकॉर्डिंग को कोर्ट में सबूत कैसे माना जायेगा?

आज के टाइम में ऑडियो विडियो को कोर्ट में सबूत माना जाता है लेकिन इसके लिए कुछ शर्तें है जिनका पूरा होना ज़रूरी है. अगर आपके साथ कुछ भी गलत हुआ है और आपने उसको रिकॉर्ड कर लिया है या किसी भी तरह का डिजिटल प्रूफ आपके पास है तो इसको सबूत बनाने के लिए सब कुछ पहले से ही पता होना चाहिए ताकि सामने वाले को उसको झूठा कहने का मौका न मिले.

ऑडियो विडियो रिकॉर्डिंग को कोर्ट में सबूत कैसे माना जायेगा?

मोबाइल ऑडियो और विडियो रिकॉर्डिंग का महत्व - Importance of Audio Video Recording

एविडेंस एक्ट की धारा 61 के अनुसार सबूत दो तरह के होते है

  • (1) फर्स्ट एविडेंस और
  • (2) सेकंडरी एविडेंस

फर्स्ट एविडेंस मतलब सबसे अच्छा व विश्वसनीय और इसमें कागजात पर लिखी बाते, दस्तावेज व इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस आते है तथा दसरे सेकंडरी एविडेंस जिसमे दस्तावेजो की प्रतिया और मोखिक गवाही इत्यादि आती है. एविडेंस एक्ट की धारा 62 में फर्स्ट एविडेंस के बारे में विस्तार से लिखा है. इलेक्ट्रॉनिक और मोबाइल या अन्य किसी डिवाइस द्वारा बने गई रिकॉर्डिंग फर्स्ट एविडेंस में आती है ये अपनी बात को कोर्ट में सच साबित करने का सबसे अच्छा व सरल आधार है

कोर्ट में ऑडियो और विडियो रिकॉर्डिंग कैसे साबित करे?

#1.ऑडियो और विडियो रिकॉर्डिंग का सच्चा होना

किसी भी प्रकार की रिकॉर्डिंग के लिए ये सबसे ज्यादा जरूरी है है की वो सच्ची हो उसमे किसी भी प्रकार की एडिटिंग नही हो. जैसे की ऑडियो रिकॉर्डिंग हम किसी दुसरे की आवाज में भी डब्ब कर सकते है. ऐसे में उसे उस व्यक्ति की आवाज के साथ मैच करना होता है तथा ये भी देखना होता है की वो रिकार्डिंग उसी डिवाइस में बनी थी या नही.

अगर विडियो रिकॉर्डिंग की बात करे तो विडियो में पिक्चर तो सामने होती ही है तो पहचानने में कोई परेशानी नही होती है. लेकिन सत्यता के लिए ये जरूरी है की विडियो रिकॉर्डिंग उसी मेमोरी कार्ड या डिवाइस में ही बनी हो, जिसमे की वो रिकॉर्ड हुआ है. अब ऐसे टूल्स आ गये है जिससे की विडियो रिकॉर्डिंग उस डिवाइस में या उस मेमोरी कार्ड में भी नही बनी हो और सिर्फ कॉपी हो तो भी पता चल जाएगा की वो ओरिजनल है या डुप्लीकेट (डुप्लीकेट मतलब एडिटीड). वैसे आप कोशिश करे की आपकी रिकॉर्डिंग उसी डिवाइस में ही कोर्ट के सामने पेश हो क्योकि उससे ये फायदा भी होता है की वो मोबाइल या डिवाइस भी कोर्ट के लिये एक सबूत बन जाता है और दोषी को सजा करवाने में ज्यादा आसानी होती है.

#2.ऑडियो और विडियो रिकॉर्डिंग कोर्ट में कैसे पेश करे

जब भी आप किसी ऑडियो या विडियो को कोर्ट में पेश करे सबसे पहले उस रिकॉर्डिंग की बातो को किसी साफ पेज पर लिखवा ले. ताकि कोर्ट को उन बोले गये शब्दों को बताने और समझाने में आसानी हो, जो ऑडियो और विडियो रिकॉर्डिंग में बोले है. तथा विडियो की कुछ फोटो भी निकाल ले ताकि विडियो की परिस्तिथि, आपको कोर्ट में बहस के समय समझाने में आसानी हो. ऐसा इसलिए है की बहस के दोरान हम बार-बार तो, ऑडियो और विडियो रिकॉर्डिंग नही चला सकते है क्योकि इसमें कोर्ट का समय नष्ट होता है तो लिखे हुए बयानों के आधार पर कोर्ट को हालात और बोली गई बाते समझा सकते है और विरोधी पार्टी से अच्छी तरह किसी भी स्तिथि में बोली गई बात को दिखाकर हम सवाल जवाब, बहस आसानी से कर सकते है.

#3.ऑडियो और विडियो रिकॉर्डिंग टाइप करने का तरीका

इसे लिखने के लिए आप जिस व्यक्ति ने जो बात बोली हो, वो बात, उसके नाम के सामने लिखी जानी चाहिए तथा सिच्वेशन को जैसे की बात किस जगह कही गई है या बात गुस्से में या प्यार से ये कही है ये सब बरेकेट में लिखे.इस प्रकार आप सारी बातो को लिख कर पेश करे. जो कही हुई बात आपके काम की हो और ख़ास हो उसे आप बोल्ड कर ले.

#4.ऑडियो और विडियो रिकॉर्डिंग किस एप्लीकेशन में लगाये

कोई भी इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड वो चाहे ऑडियो और विडियो रिकॉर्डिंग हो या किसी और रूप में जैसे की फोटो,नेगिटिव या कोई और डिवाइस उसको evidence act की धारा 65B में पेश किया जाता है उसके लिए आप किसी भी सादे पेज पर इन सब बातो का जिक्र एक सर्टिफिकेट के रूप में करे और कोर्ट के सामने पेश करे.

इसमें लिखना है की आप जो भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस कोर्ट के सामने पेश कर रहे है वो पूर्ण रूप से सत्य है तथा सही है. कोर्ट को इस धारा में उसे स्वीकार करने की पॉवर होती है कोर्ट उस इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को सत्यता के लिए फॉरेंसिक लेब में भेज देती है वहा पर इसकी सत्यता की जाँच के बाद, रिपोर्ट के साथ वापस कोर्ट में आ जाती है.

#5.पुलिस द्वारा ऑडियो और विडियो रिकॉर्डिंग जप्ती का तरीका

पुलिस को अगर कोई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जैसे मोबाइल, CCTV कैमरे, अन्य कैमरे या अन्य स्पाई डिवाइस इत्यादि, जप्त करना होता है तो वो उस व्यक्ति को 91 CRPC का नोटिस दे कर उसे ले लेती है अगर वो इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस शिकायतकर्ता के अलावा किसी और व्यक्ति का है तो उसे उस इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की कीमत उसी समय सरकार द्वारा अदा की जाती है. मान लीजिये आपका मोबाइल पुलिस ने लिया है और वो फोरेंसिक लेब से 10 महीने बाद आता है तो आप उस समय तक तो बिना मोबाइल के नही रह सकते है तथा उस समय उसकी कीमत भी कम हो जाएगी तो पुलिस आप को उसी के बराबर पैसा देती है ताकि पब्लिक पुलिस को सबूत महुया करने में सहायता करे, और अपने नुकसान की वजह से पीछे नही हटे.

जैसे आप कोई दुकानदार है और आपकी दूकान के बहार कोई CCTV कैमरा लगा है और पुलिस अगर उसको किसी क्राइम इन्वेस्टीगेशन में आप से लेती है तो वो आपको उसकी अन्य रिकॉर्डिंग जो आपको चाहिए वो कॉपी करने देगी तथा उस की पूरी कीमत उस समय के अनुसार नया सामान खरीदने के लिये आपको देगी. अगर आप को अपना सिस्टम उनसे वापस भी चाहिए तो वो आपको केस ख़त्म होने के बाद नीलामी होने पर जो कीमत तय की जाती है वो कीमत में आपको देगी. अगर कोई पुलिस ऑफिसर ऐसा नही करे तो आप उसकी शिकायत बड़े ऑफिसर्स या फिर कोर्ट में कर सकते है

लेकिन शर्त ये है की वो इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस शिकायतकर्ता का नही होना चाहिये और ना ही वो क्राइम में दोषी व्यक्ति द्वारा गलत तरीके के लिए इस्तेमाल हो जैसे की (किसी लड़की की गन्दी ऑडियो और विडिओ रिकॉर्डिंग बनाने में) दोषी ने इस्तेमाल किया हो ऐसे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के लिए किसी को भी कोई पैसा नही मिलता है

#6.ऑडियो और विडियो रिकॉर्डिंग कब मान्य नही है

अगर, आप मध्यस्था केंद्र में धोखे से किसी पार्टी की ऑडियो और विडियो रिकॉर्डिंग करते है तो वो कोर्ट में मान्य नही होती है. इस के लिए मध्यस्था केंद्र के परारूप में ये स्पष्ट रूप से provision डाला गया है की अगर कोई पक्ष किसी की कोई बात की रिकॉर्डिंग कर भी लेता है और बाद में किसी भी प्रकार से मध्यस्थता ना कर उस रिकॉर्डिंग को कोर्ट में सबूत के आधार पर पेश करना चाहे तो वह रिकार्डिंग मान्य नही होगी.

स्पेशल इसमे ये क्लौज डाला गया है क्योकि बिना सच बोले या अपनी गलती माने बगैर, आप समझोता नही कर सकते हो. जब एक पक्ष सच बोले या अपनी गलती माने तो उसे कानूनी सुरक्षा भी जरूरी है अगर क़ानूनी सुरक्षा नही होगी तो कोई भी सच नही बोलेगा और समझोता नही होगा. इसलिए जब आप मध्यस्ता केंद्र में समझोता कर रहे हो तो रिकोर्डिंग जैसी बातो से बिलकुल निश्चिन्त रहे

यहा सवाल ये उठता है की अगर विरोधी पार्टी उस रिकॉर्डिंग को मध्यस्था केंद्र की नही बता कर कही बाहर (अन्य मीटिंग) की दिखाये तो हम क्या करे? इसके लिए या तो वहा पर mediator साहब या आपके वकील साहब उपस्तिथ हो और उनकी आवाज भी सबूत के तौर पर हो जो ये साबित करे की आप मध्यस्था केंद्र में बेठे है या फिर आप बातचीत के दोरान, बीच -बीच में मध्यस्था केंद्र में बैठे है और समझोता कर रहे है ये बात कहे  ताकि पिच्चर क्लियर हो जाए

#7.मोबाइल में बात करते समय ऑडियो रिकॉर्डिंग के सम्बन्ध में

अगर आपने अपने मोबाइल में किसी पार्टी की ऑडियो रिकॉर्डिंग की है तो आप के लिए जरूरी है की आप अपने इस सबूत को सच साबित करने के लिए अपने मोबाइल और सामने वाले मोबाइल की लोकेशन और बात करने की टाइम लिमिट भी मंगवाए ताकि वो टाइम लिमिट आपकी ऑडियो रिकॉर्डिंग की लिमिट से मैच हो सके. इसके लिये आप कोर्ट में धारा 91 CR.P.C. में एप्लीकेशन लगाये और उसमे कोर्ट से पुलिस द्वारा अपनी व सामने वाली पार्टी के मोबाइल की डिटेल जिसमे दोनों मोबाइल और उनके नंबर किस के नाम पर क्या है, उस समय की दोनों मोबाइल की लोकेशन व दोनों लोगो के बात करने का समय व टाइम लिमिट की मांग करे.

अपनी एप्लीकेशन में दोनों मोबाइल नंबर्स की कोर्ट को जानकारी दे. कोर्ट पुलिस को आदेश पारित कर देगी की वो दोनों मोबाइल कंपनियों से ये डिटेल ले कर पेश करे . ऐसा करने से आपका केस व सबूत ज्यादा मजबूत हो जाता है.

#सावधानिया व अन्य जरूरी बाते

  • मोबाइल कंपनिया अपने पास किसी भी मोबाइल या लोकेशन का रिकॉर्ड सिर्फ 1 साल तक ही रखती है इससे ज्यादा के बाद वो अपने आप खत्म हो जाता है इसलिए घटना होने के 1 साल की समय सीमा में ही कोर्ट में एप्लीकेशन लगा कर जानकारी ले ले
  • व्हाट्सअप व फेसबुक जैसी कंपनियों के पास ये रिकॉर्ड रखने की कोई समय सीमा नही है वो हमेशा रहता है लेकिन अगर उसे आप अपने सिस्टम से डिलीट कर देते है तो वो अगले 1 साल तक तो इन कंपनियों के सिस्टम में रहता ही है लेकिन ये कंपनिया पब्लिक का डाटा चोरी से बेचती है इसलिए ये 1 साल बाद भी मिल सकता है लेकिन फिर भी आप लोग 1 साल की समय सीमा के अंदर कोर्ट में आवेदन कर दे
  • जिस डिवाइस में ये रिकॉर्डिंग बनाई है उसे भी सबूत के साथ पेश करे ताकि आपकी बात ज्यादा सत्यता के साथ साबित की जा सके और रिकॉर्डिंग उसी में बनी है ये भी फॉरेंसिक लेब में साबित हो जाये
  • पुलिस को जब भी कोई सबूत दे वो ऑडियो और विडियो रिकॉर्डिंग हो या कोई भी अन्य सबूत,आप उसकी पावती या रेसिविंग जरुर ले जिसमे आपके दिए सबुत का पूरा बोयरा होता है
  • अगर पुलिस आपकी इलेक्ट्रोनिक रिकॉर्डिंग को नही ले तो आप कोर्ट में एप्लीकेशन लगा कर उसे सत्यापित करवाये. लेकिन समय नष्ट नही करे
  • कई बार फोरेंसिक लेब वालो से भी चीजे टूट या खराब हो जाती है इसलिए एक दूसरी कॉपी अपने पास जरुर रखे
  • इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के लिए कोई भी प्राइवेट कम्पनी या लेब नही है ये काम सरकारी लेबो में ही होता है और कई बार इन लेब असिस्टंट के बिकने का डर रहता है इसलिए सावधान भी रहे. अगर कुछ गलत लगे तो कोर्ट द्वारा किसी दूसरी फॉरेंसिक लेब में इसका सत्यापन करवाये
  • अपनी रिकॉर्डिंग या फोटो को अपनी गवाही में एक्सिबिट जरुर करवाये इसके बिना ये बेकार है वरना कोर्ट इसको जजमेंट के समय कंसीडर नही करेगी. तथा जिस फॉरेंसिक लेब ने इसे सत्यापित किया है उस ऑफिसर की गवाही भी करवाये. ताकि इसकी प्रकिर्या सत्यापित हो सके.
  • रिकार्डिंग आपको कहा से किसके द्वारा मिली, ये आप कोर्ट को नही बताना चाहे तो मना भी कर सकते है. इस बात के लिए सुप्रीम कोर्ट के काफी जजमेंट है की आप को कोई भी कोर्ट इस बात के लिए बाध्य नही कर सकता है की आप सबूत कहा से और कैसे लाये, ये आपकी और उस व्यक्ति की सुरक्षा के लिए जरूरी है, जिसने आपको ये सबूत दिए है. यहा सवाल सिर्फ ये रहेगा की सबूत केस में सच्चाई सामने लाने का कार्य कर रहे है या नही. अगर हां तो उनको कोर्ट रिकॉर्ड पर लेकर विचार करेगी. इसलिए बिना डरे कोई भी इलेक्ट्रिक सबूत या कोई भी अन्य सबूत कोर्ट के सामने पेश करे