पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी क्या है? - What is Power of Attorney in Hindi

मुख्तारनामा या अधिकार पत्र (power of attorney (POA) या letter of attorney) एक लिखित दस्तावेज है जिसमें कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को यह अधिकार देता है कि वह उसके किसी निजी कार्य, व्यापार या किसी कानूनी कार्य के लिये उसका प्रतिनिधित्व करे (अर्थात उसकी ओर से कार्य करे)।

पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी क्या है? - What is Power of Attorney in Hindi

What is Power of Attorney in Hindi - 'पावर ऑफ अटॉर्नी एक्ट 1882' के अनुसार, पीओए ऐसा कानूनी दस्तावेज है, जिसके जरिए कोई व्यक्ति दूसरे शख्स को अपना कानूनी प्रतिनिधि (Representative) घोषित करता है। घोषित प्रतिनिधि (Representative) को 'एजेंट' और घोषित करने वाले को 'प्रिंसिपल' कहा जाता है। एजेंट प्रिंसिपल के बदले उसके सभी कानूनी, फाइनैंशल और दूसरे मामलों में फैसले ले सकता है। वह प्रिंसिपल के बदले कोई डीड भी साइन कर सकता है। ये फैसले कानूनी रूप से मान्य होंगे। एजेंट का पेशे से वकील होना जरूरी नहीं है। हालांकि एजेंट पीओए के दायरे से बाहर नहीं जा सकता। उसके फैसले से प्रिंसिपल को नुकसान होता है, तो एजेंट को हर्जाना देना होगा।

'पावर ऑफ अटॉर्नी' किसी अचल संपत्ति के मालिकाना हक को ट्रांसफर करने के लिए तैयार की जा सकती है। रजिस्ट्री के बदले पीओए का इस्तेमाल आमतौर पर उन हालात में किया जाता है, जब प्रॉपर्टी का मालिक बीमारी या दूसरी वजहों से कोर्ट जाने की प्रक्रिया से बचना चाहता हो या अहम फैसले लेने में सक्षम न हो, लेकिन मानसिक रूप से स्वस्थ हो।

Types of Power of Attorney : काम के उद्देश्यों के आधार पर पावर ऑफ अटॉर्नी दो तरह की होती है। पहली, जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी यानी जीपीए और दूसरी, स्पेशल पावर ऑफ अटॉर्नी यानी एसपीए। मोटे तौर पर समझें, तो किसी एक काम के लिए दी जाने वाली पावर ऑफ अटॉर्नी 'एसपीए' कहलाती है जैसे- कोई डील फाइनल करना, जबकि जीपीए के जरिए एजेंट कई कामों में फैसले ले सकता है। जीपीए होल्डर प्रॉपर्टी मॉगेर्ज, सेल-परचेज, कॉन्ट्रैक्ट्स, लीज, सेटलमेंट जैसे तमाम कामों को अंजाम दे सकता है।

सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि रजिस्ट्री और जीपीए आखिर क्या होते हैं? जीपीए किसी भी काम के लिए दिया जा सकता है। इसे मुख्तारनामा आम भी कहा जाता है। जीपीए के जरिए बैंक अकाउंट ऑपरेट व लॉकर ऑपरेट करने, प्रॉपर्टी खरीद-बिक्री के अधिकार से लेकर दूसरे तमाम सरकारी कामों का अधिकार दिया जाता है।

हालांकि जीपीए कभी भी रद्द किया जा सकता है और इसे रद्द करने के बाद जिसके नाम से जीपीए बनाया गया है, उसे नोटिस दिया जाता है। साथ ही पेपर के जरिए लोगों को बताना होता है कि जीपीए रद्द कर दिया गया है। कुछ जीपीए ऐसे भी होते हैं, जो अखंडनीय (इरिवोकेबल) होते हैं यानी जिन्हें रद्द नहीं किया जा सकता। लेकिन स्पेशल केस में ऐसे जीपीए को भी रद्द किया जा सकता है। इसी तरह स्पेशल पावर ऑफ अटॉर्नी होता है जो किसी खास काम के लिए बनाया जाता है। जीपीए का दायरा बड़ा होता है।

Validation of Power of Attorney : पावर ऑफ अटॉर्नी प्रिंसिपल या एजेंट की मौत के बाद वैध नहीं रहती। अगर किसी दुर्घटना के असर से प्रिंसिपल कोई कानूनी दस्तावेज साइन करने की स्थिति में नहीं रहता, तो पहले की गई पीओए की समय सीमा भी समाप्त हो जाती है। इसके अलावा, प्रिंसिपल कैंसिलेशन डीड के जरिए पूर्व में की गई पीओए को कैंसल कर सकता है। काम पूरा होने पर एसपीए को समाप्त मान लिया जाता है। दोनों पक्षों की आपसी सहमति से पीओए कभी भी कैंसल की जा सकती है। यहां ड्यूरेबल पावर ऑफ अटॉर्नी का जिक्र करना लाजिमी होगा।

Durable power of attorney : ड्यूरेबल पावर ऑफ अटॉर्नी से मतलब उस पीओए से है, जिसमें प्रिंसिपल ने यह साफ तौर पर लिखा हो कि उसके अक्षम हो जाने पर भी पीओए जारी रहेगी। हालांकि प्रिंसिपल की मौत होने पर इसकी भी वैधता समाप्त हो जाती है। कुछ जगहों पर ड्यूरेबल पावर ऑफ अटानीर् को हेल्थकेयर पावर ऑफ अटॉर्नी भी कहा जाता है। इसके तहत एजेंट प्रिंसिपल की मेडिकल केयर से जुडे़ अहम फैसले लेने का अधिकारी होता है।

Registration of Power of Attorney : जनरल पावर ऑफ अटार्नी का रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य नहीं होता। वैसे, इसका रजिस्ट्रेशन कराने पर इसे ज्यादा महत्व दिया जा सकता है। खासतौर पर जब मामला अचल संपत्ति से जुड़ा हो। जिन जगहों पर 'रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908' लागू है, वहां इस डीड को सब-रजिस्ट्रार के पास रजिस्टर्ड कराया जाता है, बाकी जगहों पर अटेस्टेशन नोटरी या प्रशासनिक अधिकारियों से कराया जाता है। इसके रजिस्ट्रेशन के समय दो या इससे ज्यादा गवाहों का होना जरूरी है। रजिस्ट्रेशन के बाद प्रिंसिपल को एग्जिक्यूटेंट और इसे पाने वाले को जीपीए/एसपीए होल्डर कहते हैं।

How to make power of attorney in foreign : भारत स्थित किसी प्रॉपर्टी की डील करने के लिए विदेश में भी पावर ऑफ अटॉर्नी तैयार और रजिस्टर्ड कराई जा सकती है। अगर पीओए का रजिस्ट्रेशन भारत से बाहर कराया गया है, तो इन कागजात के भारत पहुंचने के तीन महीने के अंदर इसे जिलाधिकारी से मान्यता दिलानी होगी। मान लीजिए, अमेरिका में रहने वाला एक एनआरआई अपनी पुश्तैनी प्रॉपर्टी को बेचना चाहता है, लेकिन इसके लिए भारत नहीं आना चाहता। ऐसे में वह यूएस में पीओए तैयार कराकर उसे नोटराइज्ड करा सकता है।

विदेश में यह डीड स्टांप पेपर पर नहीं, बल्कि सादे कागज पर बनाई जा सकती है, लेकिन इसे नोटराइज्ड कराना जरूरी होगा। भारत में इसे स्टांप पेपर पर ही तैयार किया जा सकता है। विदेश में पीओए को एग्जिक्यूट करने के लिए नोटरी, इंडियन काउंसिल या केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के पास जाना होगा।