दूसरे के नाम प्रॉपर्टी ट्रासंफर करने के कितने तरीके है और कैसे ट्रासंफर करे?
सही समय पर या सही तरीके से प्रॉपर्टी ट्रान्सफर नही करने की वजह से ही सबसे ज्यादा लड़ाई झगड़े होते है. प्रॉपर्टी ट्रान्सफर के 4 तरीके है जो की सेल डीड या बिक्रीनामा, गिफ्ट डीड, Relinquishment deed या त्यागनामा और विल होती है. इन 4 विकल्पों में से आप किसी को यूंही नहीं चुन सकते, क्योंकि इनमें से हर एक का अपना अलग रोल है। जो समय और जरूरत के हिसाब से इस्तेमाल किया जाता है

1.सेल डीड या बिक्रीनामा
सेल डीड में प्रॉपर्टी ट्रान्सफर का अग्रीमेंट होता है। इसमें वह सभी नियम व शर्तें लिखी होती हैं, जिनके तहत प्रॉपर्टी ट्रान्सफर की जाती है। ट्रांसफर ओफ प्रॉपर्टी एक्ट, 1882, जिसमें संपत्ति की बिक्री और खरीद से जुड़े मामलों की परिभाषा लिखी है, के मुताबिक अचल संपत्ति की बिक्री के लिए दो पक्षों के बीच तय हुई शर्तों का एक कॉन्ट्रैक्ट होता है। जिसके द्वारा बिक्री समझौते में तय हुई शर्तों पर भविष्य में प्रॉपर्टी ट्रांसफर करने का वचन होता है।
एग्रीमेंट करने के नियम व सावधानिया:-
प्रॉपर्टी खरीदते समय कई तरह की औपचारिकताओं की पूर्ति करनी होती है। जिनमें एग्रीमेंट सबसे महत्वूपर्ण चरण है। एग्रीमेंट लिखित तौर पर एक दस्तावेज होता है, जिसमें लिखित तौर पर दाम और शर्तो के बारे में लिखा होता है. दोनों पक्षों के अलावा दो गवाह हो, सभी के पास आधार कार्ड हो.
ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि प्रॉपर्टी ट्रान्सफर के एग्रीमेंट में कुछ बातों को ध्यान में रखा जाए। जैसे की आप कितनी प्रॉपर्टी बेच रहे है वो कहा पर स्तिथ है तथा उसकी दिशा कोन सी है या प्रॉपर्टी का कौन सा भाग आप बेच रहे है, दोनों पक्ष सहमत है या नहीं तथा उसकी कितनी कीमती है, वो कीमत सरकार द्वारा तय किये गये सर्किल रेट से कम तो नहीं है | सम्पति की कीमत कैसे चुकाई गई है और जो मोल-भाव मौखिक तौर पर हुआ है, उसका जिक्र एग्रीमेंट में किया गया हो इत्यादि.
स्टांप ड्यूटी:-
प्रत्येक राज्य के अनुसार स्टांप ड्यूटी अलग-अलग होती है। कुछ मामलों में जहां यह जमीन की कीमतों के आधार पर लगाई जाती है, अगर वो सम्पति बनी हुई है तो उसकी बनाई की कीमत भी लिखी जाती है तथा उसके अनुसार भी स्टाम्प डयूटी दी जाती है. जैसे दिल्ली में महिला के लिए 4% (सम्पूर्ण प्रॉपर्टी की कीमत का प्रतिशत) +1% (ये 4% की कीमत का प्रतिशत) और पुरुष के लिए 6% (सम्पूर्ण प्रॉपर्टी की कीमत का प्रतिशत) +1% (ये 4% की कीमत का प्रतिशत) है.
लाभ और हानि:-
इसका सबसे बड़ा लाभ ये है की आप अपनी सम्पति को सरकार को ट्रान्सफर टैक्स चूका के बेचते हो प्रॉपर्टी बेचने के पैसे आप क़ानूनी रूप से इस्तेमाल कर सकते है.
हानि ये है की आप को इसको खरीदने के लिए ट्रान्सफर फीस देनी होती है जो की बहुत ज्यादा होती है दिल्ली में तो 4 से 6 % है. इसके अलावा, अगर आपकी प्रॉपर्टी की कीमत खरीदने के समय से बेचने के समय के बीच सरकार के तय किये गये slope से ज्यादा हो जाती है, तो आप को उस सम्पति से बेचने के प्रॉफिट में से 10 से 30% तक का टैक्स सरकार को देना होता है.
2.दान या गिफ्ट डीड
भारतीय संपत्ति हस्तातरण अधिनियम की धारा 122 के अंतर्गत दान/गिफ्ट डीड की परिभाषा दी गई है. कोई भी व्यक्ति अपनी वर्तमान चल या अचल सम्पति को अपनी इच्छा द्वारा किसी दुसरे व्यक्ति को देता है तो वो गिफ्ट या दान कहलाता है. ऐसा सिर्फ वो व्यक्ति दुसरे के प्रति प्यार, आदर, तथा दया से प्रेरित होकर करता है. गिफ्ट करने वाला व्यक्ति इसके बदले में सामने वाले व्यक्ति से कुछ ले नही सकता है, वरना गिफ्ट का अर्थ समाप्त हो जाता है.
गिफ्ट डीड करने के नियम व सावधानिया:-
अग्रीमेंट में साफ तौर पर ये लिखा जाता है की गिफ्ट कर्ता अपनी मर्जी से दुसरे को अपनी चल अचल सम्पति गिफ्ट कर रहा है. जो की बिना किसी प्रतिफल के है. (प्रतिफल मतलब गिफ्ट कर्ता ने बदले में गिफ्ट करने वाले से कुछ नहीं लिया है).
गिफ्ट डीड भी सेल डीड की तरह लिखित और रजिस्टर्ड हो, उसमे भी दो गवाह हो. प्रोपर्टी का ब्यौरा साफ तौर पर दिया हो.
स्टाम्प ड्यूटी:-
जितनी स्टाम्प ड्यूटी आप अपने बिक्रीनामे या सेल डीड में देते उतनी ही स्टाम्प डयूटी आपको इसमें देनी होती है.
लाभ और हानि:-
इसमें फायदा ये है की सम्पति गिफ्ट लेने वाले को, गिफ्ट करने वाले को कुछ नहीं देना होता है ऐसे में आप इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को जवाब देने से बच जाते है वरना सेल डीड के बाद इनकम टैक्स डिपार्टमेंट नोटिस देकर सवाल - जवाब करता है.
इसमें नुकसान ये है की गिफ्ट करने वाला चाहे तो अपने जीते जी आपसे कोर्ट में केस करके अपनी सम्पति वापस ले सकता है.
3.Relinquish Deed या त्याग नामा
चल या अचल सम्पति का मालिक अपनी इच्छा से अपनी सम्पति के हिस्से का त्याग करके उसे दुसरे हिस्सेदार को दे सकता है. जैसे किसी सम्पति में कई भाई मालिक है और वो उन सभी के नाम है तो ऐसे में कोई भी भाई अपना हिस्सा किसी एक विशेष भाई या फिर सभी भाइयो को बराबर दे सकता है.
Relinquish Deed या त्याग नामा करने के नियम व सावधानिया:-
ये डीड भी लिखित और रजिस्टर्ड होनी चाहिए और बिना किसी प्रतिफल के होनी चाहिए. हिन्दू प्रॉपर्टी एक्ट के अनुसार आप अपने किसी निजी रिश्तेदार या ब्लड रिलेशन में ही अपना हक़ छोड़ सकते है.
वो व्यक्ति उस सम्पति में हिस्सेदार होना चाहिए. इसमें आपको अपना पूरा हिस्सा ही छोड़ना होता है आप अपने हिस्से के आधे या किसी एक भाग को नहीं छोड़ सकते है.
स्टाम्प ड्यूटी:-
इसमें आपको अपने राज्य के अनुसार नाममात्र की फीस देनी होती है जैसे की दिल्ली में 4 हजार के करीब फीस जाती है और राज्यों में कम या ज्यादा हो सकती है.
लाभ और हानि:-
इस डीड में लाभ ये है की आप नाममात्र की फीस पे करके अपने नाम सम्पति करवा सकते है. आपकी सरकार को प्रॉपर्टी ट्रान्सफर पर देने वाली स्टाम्प ड्यूटी बच जाती है.
हानि ये है की प्रॉपर्टी ट्रान्सफर करने वाला चाहे तो कोर्ट में केस करके इस डीड को कैंसिल करवा कर अपनी सम्पति वापस ले सकता है. और आप अपनी सम्पति का कुछ हिस्सा नहीं दे सकते, आपको अपना पूरा हिस्सा ही देना होता है.
4.विल,वसीयत या इच्छा पत्र
यह एक कानूनी दस्तावेज होता है जिसमें किसी व्यक्ति/व्यक्तियों का नाम लिखा होता है जो एक व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी प्रोप्रटी और व्यवसाय को प्राप्त करेगा।
जब कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छा से अपनी चल या अचल संपत्ति का अधिकार किसी दूसरे व्यक्ति को सौंपता है उसे will कहते है. इसमे will करने वाला व्यक्ति अनुदानकर्ता (testator) कहलाता है. तथा जिसे will के द्वारा सम्पति दी जाती है उसे लाभगृहित (Beneficiary) कहते है. तथा will करने वाला व्यक्ति यानी अनुदानकर्ता अगर अपनी सम्पति के लिए कोई संरक्षणकर्ता नियक्त करता है तो वह निष्पादककर्ता (Executor) कहलाता है
वसीयत दो प्रकार की होती हैं
- (1) विशेषाधिकार इच्छा पत्र (Privileged will)
- (2) विशेष अधिकार रहित इच्छा पत्र (Un-Privileged will)
वसीयत लिखने की शर्ते:-
विल लिखने के लिए कुछ क़ानूनी बातो का पालन करना होता है जो की भारतीय उत्तराधिकारी अधिनियम Indian succession act 1952 में लिखित है
- will करने वाला व्यक्ति 18+ वर्ष की आयु का होना चाहिये
- will लिखित में होनी चाहिये, इसकी दो कॉपी हो एक रजिस्ट्रार के पास रहती है दूसरी आपको मिलती है
- विल में लिखी सम्पति आपको किसी से मिली हो या आपने खरीदी हुई होनी चाहिये
- will के उपर विल करने वाले व दो साक्षियों के हस्ताक्षर होने चाहिए.
स्टाम्प ड्यूटी:-
इसमें भी नाम मात्र की फीस लगती है जो की दिल्ली में 3 हजार के करीब है. बाकी और राज्यों में तो और भी कम होगी.
लाभ और हानि:-
इसका सबसे बड़ा लाभ ये है आपके बाद आपकी सम्पति सही हाथो में चली जाती है. बाद में कोई झगड़ा नही होता है.
इसे करने में कोई हानि नही है. ये सभी को करनी चाहिए.
नोट:- कभी भी प्रॉपर्टी ट्रान्सफर का काम नोटरी से नही कराये, ये कच्चा काम होता है. इसके लिए रजिस्ट्रार ऑफिस में स्टाम्प ड्यूटी पे करके ही काम करवाये