अपने खिलाफ झूटी रिपोर्ट होने पर क्या करे? - Fake FIR Section 482 in Hindi

कानून की जानकारी के अभाव के चलते कभी कभी बेगुनाह लोग भी झंझटों में फंस जाते हैं। ऐसे झूठों मामलों से बचने के लिए इस कानून की जानकारी आपके के लिए बेहद जरूरी है।

अपने खिलाफ झूटी रिपोर्ट होने पर क्या करे? - Fake FIR Section 482 in Hindi

Fake FIR Section 482 in Hindi - कुछ लोग आपसी मतभेद में एक दूसरे के खिलाफ झूठी एफआईआर लिखवा देते हैं। अकसर ऐसे मामलों में जिनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है, वे पुलिस और कोर्ट के कानूनी झंझटों में फंस जाते हैं और उनका धन, समय और जीवन बर्बादी की कगार पर चल पड़ता है। क्या आप जानते हैं कि ऐसी झूठी शिकायतों के खिलाफ आप कार्रवाई कर अपने खुद बचा सकते हैं। भारतीय संविधान में भारतीय दंड संहिता की धारा 482 ऐसा ही एक कानून है जिसके उपयोग से आप ऐसी झंझटों से सकते हैं।

क्या है धारा 482 - What is Section 482?

भारतीय दंड संहिता की धारा 482 के तहत आप अपने खिलाफ लिखाई गई एफआईआर को चैलेंज करते हुए हाईकोर्ट से निष्पक्ष न्याय की मांग कर सकते हैं। इसके लिए आपको अपने वकील के माध्यम से हाईकोर्ट में एक प्रार्थनापत्र देना होगा। जिसमें आप पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर पर प्रश्नचिन्ह लगा सकते हैं। यदि आपके पास अपनी बेगुनाही के सबूत जैसे कि ऑडियो रिकॉर्डिग, वीडियो रिकॉर्डिग, फोटोग्रॉफ्स, डॉक्यूमेंट्स हों तो आप उनको अपने प्रार्थना पत्र के साथ संलग्न करें। ऐसा करने से हाईकोर्ट में आपका केस मजबूत हो बन जाता है।

कैसे करें धारा 482 का प्रयोग - How to Use 482?

धारा 482 का प्रयोग दो तरह से किया जाता है। पहला प्रयोग ज्यादातर दहेज तथा तलाक के मामलों में किया जाता है। इन मामलों में दोनों पार्टियां आपसी रजामंदी से सुलह कर लेती हैं। जिसके बाद वधू पक्ष हाईकोर्ट में वर पक्ष के खिलाफ एफआईआर कैंसिल करने की एप्लीकेशन देता है, जिसके बाद वर पक्ष के खिलाफ दायर 498, 406 तथा अन्य धाराओं में दर्ज मामले हाईकोर्ट के आदेश पर बंद कर दिए जाते हैं।

तुरंत रुकवा सकते हैं पुलिस की कार्रवाई - Stop police action instantly

दूसरा प्रयोग आपराधिक मामलों में किया जाता है। मान लीजिए किसी ने आपके खिलाफ मारपीट, चोरी, बलात्कार अथवा अन्य किसी प्रकार का षडयंत्र रच कर आपके खिलाफ पुलिस में झूठी एफआईआर लिखा दी है। आप हाईकोर्ट में धारा 482 के तहत प्रार्थना पत्र दायर कर अपने खिलाफ हो रही पुलिस की कार्रवाई तुरंत रुकवा सकते हैं। यही नहीं हाईकोर्ट आपकी एप्लीकेशन देख कर संबंधित जांच अधिकारी जांच करने के लिए आवश्यक निर्देश दे सकता है। इस तरह के मामलों में जब तक हाईकोर्ट में धारा 482 के तहत मामला चलता रहेगा, पुलिस आप के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं कर सकेगी। यही नहीं यदि आपके खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी है तो वह भी तुरंत प्रभाव से हाईकोर्ट के आदेश आने तक के लिए रूक जाएगा।

इन बातों का रखें ध्यान - Remember

इस कानून के तहत आप को एक फाइल तैयार करनी होती है जिसमें एफआईआर की कॉपी तथा आपके प्रार्थना पत्र के साथ-साथ आपको जरूरी एविडेंस भी लगाने होते हैं। यदि एविडेंस नहीं है तो आप अपने वकील से सलाह मशविरा कर पुलिस में दर्ज शिकायत के लूपहोल्स को ध्यान से देख कर उनका उल्लेख करें। इसके अतिरिक्त आप यदि आपके पक्ष में कोई गवाह है तो उसका भी उल्लेख करें।

यदि किसी अपराध के लिए आवश्यक सामग्री का गठन नहीं होता है, तो धारा 482 के तहत आपराधिक कार्यवाही को रद्द किया जा सकता है। एक आपराधिक कार्यवाही को वहां समाप्त किया जा सकता है जहां शिकायत में लगाए गए आरोप, दंड संहिता के तहत अपराध के घटित होने का खुलासा नहीं करते हैं।