स्पेशल मैरिज एक्ट क्या है? - Special Marriage Act 1954 in Hindi

विशेष विवाह अधिनियम, 1954 भारत की संसद का एक अधिनियम है जो भारत के लोगों और विदेशी देशों में सभी भारतीय नागरिकों के लिए विवाह का विशेष रूप प्रदान करता है, भले ही किसी भी पार्टी के बाद धर्म या विश्वास के बावजूद। यह अधिनियम 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में प्रस्तावित कानून के एक टुकड़े से हुआ था।

स्पेशल मैरिज एक्ट क्या है? - Special Marriage Act 1954 in Hindi

Special Marriage Act 1954 in Hindi - इस पोस्ट में हम बात करेंगे स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 के बारे में, और स्पेशल मैरिज एक्ट के अंतर्गत कौन विवाह कर सकता है और इसके अंतर्गत विवाह की क्या शर्ते है. और भारत में कितने प्रकार के विवाह होते है.

शादी कितनी तरह से हो सकती है? - How many types of marriages in India

हिंदू मैरिज एक्ट और मुस्लिम पर्सनल लॉ के अलावा स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत भी शादी की जा सकती है। हिंदू मैरिज एक्ट के तहत जहां दो बालिग हिंदू शादी कर सकते हैं, वहीं मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत इस्लाम धर्म को मानने वाले निकाह करते हैं। स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत किसी भी धर्म के लोग शादी के बंधन में बंध सकते हैं और इसके लिए उन्हें अपना मजहब बदलने की जरूरत नहीं। दोनों का अपना-अपना धर्म शादी के बाद कायम रहता है। शादी चाहे किसी भी तरीके से हो, शादी के बाद पत्नी को तमाम कानूनी अधिकार मिल जाते हैं।

स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत किस तरह शादी होती है? - Special Marriage Act 1954

Special Marriage Act 1954 - अगर लड़का और लड़की दोनों पहले से शादीशुदा न हों, बालिग हों और शादी की सहमति देने लायक मानसिक स्थिति में हों, तो वे स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 के तहत शादी कर सकते हैं। शर्त यह भी है कि अगर दोनों हिंदू हैं तो वे प्रोहिबिटेड (प्रतिबंधित नजदीकी रिलेशन यानी भाई-बहन, बुआ, मौसी आदि) व स्पिंडा रिलेशन (पिता की पांच पीढ़ी और मां की तरफ की तीन पीढ़ियां) में न हों। इस एक्ट के तहत विदेशी के साथ भारतीय भी शादी कर सकते हैं। शादी के इच्छुक जोड़े को इलाके के एडीएम ऑफिस में शादी की अर्जी दाखिल करनी होती है।

इस अर्जी के साथ उम्र का दस्तावेज देना होता है। यह हलफनामा भी देना होता है कि दोनों बालिग हैं और बिना किसी दबाव के शादी कर रहे हैं। दोनों का फिजिकल वेरिफिकेशन कर उन्हें एक महीने बाद आने के लिए कहा जाता है और इस दौरान नोटिस बोर्ड पर उनके बारे में सूचना चिपकाई जाती है कि दोनों शादी करने वाले हैं। अगर किसी को आपत्ति है तो बताए। नोटिस पीरियड के बाद दोनों को एडीएम के सामने पेश होना होता है। गवाहों के सामने मैरिज रजिस्ट्रार उनसे शपथ दिलवाते हैं और फिर शादी का सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाता है।

Requirement of Special Marriage Act 1954

  • वर - वधू 21 और 18 साल के होने चाहिए और मानसिक रूप से स्वस्थ होने चाहिए
  • समान या अलग धर्मो के प्रेमी इस एक्ट के तहत शादी कर सकते हैं| इसमे दोनों को ही अपना धर्म बदलने या छोड़ने की जरुरत नही |
  • यह शादी कोर्ट में सब डिविजनल मजिस्ट्रेट (SDM) या एडिशनल डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट द्वरा करवाई जाती हैं |
  • special marriage act के तहत शादी कराने में कोई पंडित, मोलवी, ग्रंथि या पादरी सम्मिलित नही होता हैं|
  • इसके तहत विवाह करने के लिए तीन गवाह होना अनिवार्य है.

लड़का और लड़की दोनों एक ही धर्म के हों तो भी क्या स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी हो सकती है? - स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत कोई भी शादी कर सकता है। यह शादी रजिस्टर्ड होती है और इस शादी के लिए किसी फेरे आदि की जरूरत नहीं होती। बस अगर दोनों हिंदू हैं तो प्रोहिबिटेड और स्पिंडा रिलेशन में न होने की शर्त लागू होती है।

अगर दो हिंदू रीति-रिवाज से शादी करना चाहते हैं और उसे रजिस्टर्ड भी कराना चाहते हैं तो फिर क्या करें? - दो बालिग विवाह योग्य लोग शादी कर सकते हैं। इनमें से कोई पहले से शादीशुदा नहीं होना चाहिए। अगर पहली पत्नी या पति मर चुका है या फिर तलाकशुदा हैं तो भी शादी कर सकते हैं। शादी हिंदू रीति रिवाज से घर में या फिर मंदिर में हो सकती है। मंदिर में हुई शादी के बाद पुजारी सर्टिफिकेट जारी करता है। शादी के बाद रजिस्ट्रार ऑफ मैरिज के सामने दोनों को आवेदन देना होता है और शादी से संबंधित फोटोग्राफ, शादी का सर्टिफिकेट, अगर शादी घर में हुई है तो कार्ड आदि के साथ रजिस्ट्रार के दफ्तर में शादी रजिस्टर्ड करने के लिए आवेदन दिया जाता है। उस वक्त अगर लड़की चाहे तो अपना सरनेम बदल सकती है। मैरिज रजिस्ट्रार शादी रजिस्टर कर सर्टिफिकेट जारी कर देता है।

मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत कौन शादी कर सकता हैक्या कोई हिंदू मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत शादी कर सकता है? - मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत दो मुस्लिम ही निकाह कर सकते हैं। अगर उनमें से कोई एक मुस्लिम नहीं है तो पहले उसे अपना धर्म बदलकर इस्लाम अपनाना होगा। इसके लिए अलग से हलफनामा देकर बताना होगा कि वह इस्लाम कबूल कर रहा है। यह हलफनामा काजी के सामने पेश किया जाता है। निकाह से पहले लड़के और लड़की को एक हलफनामा देना होता है कि दोनों मुस्लिम हैं और बालिग हैं। फिर पर्सनल लॉ के तहत निकाह होता है। निकाह के बाद काजी निकाहनामा देता है। उसे भी रजिस्टर कराया जा सकता है।

अलग-अलग शादी के तरीके से पत्नी को अपने पति की संपत्ति में किस तरह के अधिकार मिलते हैं? - अगर कोई हिंदू मैरिज एक्ट के तहत शादी करता है तो पत्नी को अपने पति की संपत्ति में हिंदू सक्सेशन एक्ट के तहत अधिकार मिलेगा। अगर किसी ने मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत शादी की हो तो उसे मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत अधिकार मिलेगा। अगर किसी ने स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी की हो तो पत्नी को इंडियन सक्सेशन एक्ट के तहत ही संपत्ति में अधिकार मिलेगा।