World Health Organization in Hindi - WHO kya hai | विश्व स्वास्थ्य संगठन क्या है? | Full Details

विश्व स्वास्थ्य संगठन या डब्ल्यूएचओ की स्थापना 7 अप्रैल 1948 को हुई थी। डब्ल्यूएचओ की स्थापना के समय इसके संविधान पर 61 देशों ने हस्ताक्षर किए थे। इसकी पहली बैठक 24 जुलाई 1948 को हुई थी।

World Health Organization in Hindi - WHO kya hai | विश्व स्वास्थ्य संगठन क्या है? | Full Details

सामान्य जानकारी:

  • स्वास्थ्य क्षेत्र के लिये संयुक्त राष्ट्र की विशेष एजेंसी ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ (World Health Organization-WHO) की स्थापना वर्ष 1948 हुई थी।
  • इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में स्थित है।
  • वर्तमान में 194 देश WHO के सदस्य हैं। 150 देशों में इसके कार्यालय होने के साथ-साथ इसके छह क्षेत्रीय कार्यालय भी हैं।
  • यह एक अंतर-सरकारी संगठन है तथा सामान्यतः अपने सदस्य राष्ट्रों के स्वास्थ्य मंत्रालयों के सहयोग से कार्य करता है।
  • WHO वैश्विक स्वास्थ्य मामलों पर नेतृत्व प्रदान करते हुए स्वास्थ्य अनुसंधान संबंधी एजेंडा को आकार देता है तथा विभिन्न मानदंड एवं मानक निर्धारित करता है।
  • साथ ही WHO साक्ष्य-आधारित नीति विकल्पों को स्पष्ट करता है, देशों को तकनीकी सहायता प्रदान करता है तथा स्वास्थ्य संबंधी रुझानों की निगरानी और मूल्यांकन करता है।
  • WHO ने 7 अप्रैल, 1948 से कार्य आरंभ किया, अतः वर्तमान में 7 अप्रैल को प्रतिवर्ष विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है।

उद्देश्य/कार्य:

  • अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य संबंधी कार्यों पर निर्देशक एवं समन्वय प्राधिकरण के रूप में कार्य करना।
  • संयुक्त राष्ट्र के साथ विशेष एजेंसियों, सरकारी स्वास्थ्य प्रशासन, पेशेवर समूहों और ऐसे अन्य संगठनों जो स्वास्थ्य के क्षेत्र में अग्रणी हैं, के साथ प्रभावी सहयोग स्थापित करना एवं उसे बनाए रखना।
  • सरकारों के अनुरोध पर स्वास्थ्य सेवाओं को मज़बूत करने के लिये सहायता प्रदान करना।
  • ऐसे वैज्ञानिक और पेशेवर समूहों के मध्य सहयोग को बढ़ावा देना जो स्वास्थ्य प्रगति के क्षेत्र में योगदान करते हैं।

संचालन:

WHO का संचालन निम्नलिखित संस्थाओं के माध्यम से किया जाता है

  • विश्व स्वास्थ्य सभा(World Health Assembly):
    • विश्व स्वास्थ्य सभा सदस्य राष्ट्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रतिनिधियों से बनी होती है।
    • प्रत्येक सदस्य का प्रतिनिधित्व अधिकतम तीन प्रतिनिधियों द्वारा किया जाता है जिनमें से किसी एक को मुख्य प्रतिनिधि के रूप में नामित किया जाता है।
    • इन प्रतिनिधियों को स्वास्थ्य के क्षेत्र में उनकी तकनीकी क्षमता के आधार पर सबसे योग्य व्यक्तियों में से चुना जाता है क्योंकि ये सदस्य राष्ट्र के राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रशासन का अधिमान्य प्रतिनिधित्व करते हैं।
    • विश्व स्वास्थ्य सभा की बैठक नियमित वार्षिक सत्र और कभी-कभी विशेष सत्रों में भी आयोजित की जाती है।
  • विश्व स्वास्थ्य सभा के कार्य:
    • विश्व स्वास्थ्य सभा WHO की नीतियों का निर्धारण करती है।
    • यह संगठन की वित्तीय नीतियों की निगरानी करती है एवं बजट की समीक्षा तथा अनुमोदन करती है।
    • यह WHO तथा संयुक्त राष्ट्र के मध्य होने वाले किसी भी समझौते के संदर्भ में आर्थिक एवं सामाजिक परिषद (Economic and Social Council) को रिपोर्ट करता है।

सचिवालय

(The Secretariat):

  • सचिवालय में महानिदेशक और ऐसे तकनीकी एवं प्रशासनिक कर्मचारी शामिल किये जाते हैं जिनकी संगठन के लिये आवश्यक माना जाता है।
  • विश्व स्वास्थ्य सभा द्वारा निर्धारित शर्तों के अनुरूप बोर्ड द्वारा नामांकन के आधार पर विश्व स्वास्थ्य सभा के महानिदेशक की नियुक्ति की जाती है।

सदस्यता एवं सह सदस्यता:

  • संयुक्त राष्ट्र के सदस्य इस संगठन के सदस्य बन सकते हैं।
  • ऐसे क्षेत्र या क्षेत्रीय समूह जो अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के संचालन के लिये ज़िम्मेदार नहीं हैं, उन्हें स्वास्थ्य सभा द्वारा सह सदस्यों के रूप में नामित किया जा सकता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन का वैश्विक योगदान

(WHO’s Contribution to World)

  • देशीय कार्यालय(Country Offices)
    • ये संबंधित देश की सरकार और विश्व स्वास्थ्य संगठन के बीच प्राथमिक संपर्क बिंदु होते हैं।
    • ये स्वास्थ्य मामलों पर तकनीकी सहायता प्रदान करने के साथ-साथ प्रासंगिक वैश्विक मानकों और दिशा-निर्देशों को साझा करते हैं एवं सरकार के अनुरोधों तथा आवश्यक मांगों को WHO के अन्य स्तरों तक पहुँचाते हैं।
    • ये देश के बाहर किसी बीमारी के फैलने के बारे में मेज़बान सरकार को सूचित करते हैं और उसके साथ मिलकर कार्य करते हैं।
    • ये देश में स्थित अन्य संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के कार्यालयों को सार्वजनिक स्वास्थ्य पर सलाह एवं मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
  • सरकारों के अतिरिक्त WHO स्वयं भी अन्य संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, प्रदाताओं, गैर-सरकारी संगठनों (NGO) और निजी क्षेत्र के साथ समन्वय स्थापित करता है।
  • WHO के अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यों से सभी देश लाभान्वित होते हैं जिसमें सर्वाधिक विकसित देश भी शामिल हैं। उदाहरणार्थ- चेचक का वैश्विक उन्मूलन, क्षय रोग को नियंत्रित करने के बेहतर एवं सस्ते तरीकों का प्रसार आदि।
  • WHO का मानना है कि टीकाकरण से बचपन के छह प्रमुख संक्रामक रोगों - डिप्थीरिया, खसरा, पोलियोमाइलाइटिस, टिटनेस, क्षय रोग एवं काली खाँसी की रोकथाम होती है। टीकाकरण उन सभी बच्चों के लिये उपलब्ध होना चाहिये जिन्हें इसकी आवश्यकता है-
    • WHO संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) के सहयोग से सभी बच्चों के लिये प्रभावी टीकाकरण सुनिश्चित करने हेतु एक विश्वव्यापी अभियान का नेतृत्व कर रहा है।

WHO की ऐतिहासिक यात्रा:

  • WHO ने अपनी स्थापना के पहले दशक (वर्ष 1948-58) के दौरान विकासशील देशों के लाखों लोगों को प्रभावित करने वाले विशिष्ट संक्रामक रोगों पर प्रमुखता से ध्यान केंद्रित किया।
  • वर्ष 1958 से 1968 की अवधि में अफ्रीका में कई उपनिवेश स्वतंत्र हुए जो बाद में संगठन के सदस्य बन गए।
  • WHO ने 1960 के दशक में विश्व रासायनिक उद्योग (World Chemical Industry) के साथ मिलकर कार्य किया ताकि ओनोकोसेरिएसिस (रिवर ब्लाइंडनेस) और सिस्टोसोमियासिस (Schistosomiasis) के रोगवाहक से लड़ने के लिये नए कीटनाशक विकसित किये जा सकें।
  • बीमारियों एवं मृत्यु के कारणों की नामपद्धति का वैश्विक मानकीकरण करना अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य संचार में WHO का महत्त्वपूर्ण योगदान था।
  • WHO की स्थापना के तीसरे दशक (1968-78) में विश्व में चेचक उन्मूलन के क्षेत्र में बड़ी सफलता प्राप्त हुई।
    • वर्ष 1967 तक 31 देशों में चेचक स्थानिक रोग था। इससे लगभग 10 से 15 मिलियन लोग प्रभावित थे।
    • सभी प्रभावित देशों में सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यकर्त्ताओं की टीमों द्वारा इस विषय पर काम किया गया था जिसका WHO ने नेतृत्व एवं समन्वय किया।
    • इस विशाल अभियान से वैश्विक स्तर पर बच्चों को प्रभावित करने वाले छह रोगों डिप्थीरिया, टिटनेस, काली खाँसी, खसरा, पोलियोमाइलाइटिस ( poliomyelitis) एवं क्षय रोग के प्रति टीकाकरण (BCG वैक्सीन के साथ) का विस्तार किया।
    • राजनीतिक कारणों से लंबे असमंजस के बाद इस अवधि में WHO ने संपूर्ण विश्व में मानव प्रजनन पर अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देकर परिवार नियोजन के क्षेत्र में प्रवेश किया।
    • मलेरिया एवं कुष्ठ रोग के नियंत्रण के लिये भी नए प्रयास किये गए।
  • WHO की स्थापना के चौथे दशक (1978-88) की शुरुआत WHO और यूनिसेफ के एक वृहद् वैश्विक सम्मेलन द्वारा हुई। यह सम्मेलन सोवियत संघ के एशियाई हिस्से में स्थित एक शहर ‘अल्मा अता’ (Alma Ata) में आयोजित किया गया था।
    • अल्मा अता सम्मेलन में प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल, निवारक एवं उपचारात्मक उपायों के महत्त्व पर बल दिया गया।
    • इस सम्मेलन में सामुदायिक भागीदारी पर बल देना, उपयुक्त तकनीक एवं अंतर्क्षेत्रीय सहयोग करना आदि विश्व स्वास्थ्य नीति के केंद्रीय स्तंभ बन गए।
  • WHO की स्थापना के 30 वर्षों के उपरांत 134 सदस्य राष्ट्रों ने समान प्रतिबद्धताओं की पुष्टि की जो कि इसके ध्येय वाक्य ‘सभी के लिये स्वास्थ्य’ (Health for All) में सन्निहित है।
  • संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वर्ष 1980 में सभी के लिये सुरक्षित पेयजल एवं पर्याप्त उत्सर्जन निपटान के प्रावधान हेतु की गई ‘अंतर्राष्ट्रीय पेयजल आपूर्ति एवं स्वच्छता दशक’ (वर्ष 1981-90) की घोषणा WHO द्वारा समर्थित थी।
  • इस अवधि में प्रत्येक देश को वैश्विक बाज़ारों में बेचे जाने वाले हजारों ब्रांड के उत्पादों के बजाय सभी सार्वजनिक सुविधाओं में उपयोग के लिये ‘आवश्यक दवाओं’ की एक सूची विकसित करने के लिये प्रोत्साहित किया गया था।
  • ओरल रिहाइड्रेशन थेरेपी द्वारा संपूर्ण विश्व में शिशुओं में होने वाली डायरिया नामक बीमारी पर नियंत्रण एक और बड़ी सफलता थी जो कि बहुत ही सरल सिद्धांतों पर आधारित थी।
नेटवर्क: वर्ष 1995 में कांगो में इबोला वायरस का प्रकोप जिससे WHO तीन महीने तक अनभिज्ञ रहा, ने वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य निगरानी एवं अधिसूचना प्रणालियों की एक चौंकाने वाली कमी का खुलासा किया।
  • अतः वर्ष 1997 में WHO ने कनाडा के साथ मिलकर ‘ग्लोबल पब्लिक हेल्थ इंटेलिजेंस नेटवर्क’ (Global Public Health Intelligence Network-GPHIN) को सभी जगह प्रसारित किया जिसने संभावित महामारियों की सूचना देने के लिये प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के रूप में कार्य करने हेतु इंटरनेट तकनीक का लाभ उठाया।
  • WHO ने वर्ष 2000 में GPHIN को ‘ग्लोबल आउटब्रेक अलर्ट रिस्पांस नेटवर्क’ (Global Outbreak Alert Response Network-GOARN) के साथ घटनाओं का विश्लेषण करने के लिये जोड़ दिया।
  • GOARN ने 120 नेटवर्क एवं संस्थानों को किसी भी संकट के प्रति तीव्र कार्रवाई करने के उद्देश्य से डेटा प्रयोगशालाओं, कौशल एवं अनुभव के साथ जोड़ दिया।

WHO द्वारा किये गए अन्य प्रयास:

  • WHO ने कैंसर से निपटने के लिये भी अपने प्रयासों में वृद्धि की है जो समृद्ध राष्ट्रों की तरह ही अब विकासशील देशों में भी मौतों का कारण बन रहा है।
  • तंबाकू पुरुषों एवं महिलाओं दोनों की होने वाली मौतों का सबसे बड़ा कारण है।
  • इन मौतों को रोकने के लिये WHO द्वारा प्रत्येक देश में तंबाकू के सेवन को प्रतिबंधित करने के लिये प्रयास किये जा रहे हैं।
  • एड्स की विश्वव्यापी महामारी ने इस घातक यौन संचारित वायरस के प्रसार को रोकने के लिये बढ़ते वैश्विक प्रयासों के बीच WHO के लिये एक और चुनौती पेश की है।
    • WHO एचआईवी पीड़ितों के स्व-परीक्षण की सुविधा पर कार्य कर रहा है ताकि HIV पीड़ित अधिक लोगों को उनकी स्थिति का पता चल सके और वे सही उपचार प्राप्त कर सकें।

विश्व स्वास्थ्य संगठन और भारत

(WHO and India):

  • भारत 12 जनवरी, 1948 को WHO का सदस्य बना।
  • WHO का दक्षिण-पूर्व एशिया का क्षेत्रीय कार्यालय नई दिल्ली में स्थित है।

भारत में WHO द्वारा किये गए स्वास्थ्य संबंधी प्रयास:

  • चेचक(Smallpox):
    • वर्ष 1967 में भारत में दर्ज किये गए चेचक के मामलों की कुल संख्या विश्व के कुल मामलों की लगभग 65% थी।
    • इनमें से 26,225 मामलों में रोगी की मृत्यु हो गई, इस घटना ने भविष्य में होने वाले अथक संघर्ष की विकट तस्वीर प्रस्तुत की है।
    • वर्ष 1967 में WHO ने गहन चेचक उन्मूलन कार्यक्रम (Intensified Smallpox Eradication Programme) प्रारंभ किया।
    • WHO और भारत सरकार के समन्वित प्रयास से वर्ष 1977 में चेचक का उन्मूलन किया गया।
  • पोलियो(Polio):
    • विश्व बैंक की वित्तीय एवं तकनीकी सहायता से WHO द्वारा वर्ष 1988 में प्रारंभ की गई वैश्विक पोलियो उन्मूलन पहल (Global Polio Eradication Initiative) के संदर्भ में भारत ने पोलियो रोग के खिलाफ मुहिम की शुरुआत की।
    • पोलियो अभियान-2012: भारत सरकार ने यूनिसेफ, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, रोटरी इंटरनेशनल और रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्रों की साझेदारी से पाँच वर्ष से कम आयु के सभी बच्चों को पोलियो से बचाव हेतु टीका लगवाने की आवश्यकता के बारे में सार्वभौमिक जागरूकता में योगदान दिया है।
    • इन प्रयासों के परिणामस्वरूप वर्ष 2014 में भारत को एंडेमिक देशों की सूची से बाहर रखा गया।
  • WHO देश सहयोग रणनीति- भारत (वर्ष 2012-2017) नामक रणनीति को संयुक्त रूप से स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (MoH & FW) तथा भारत स्थित WHO के देशीय कार्यालय (WHO Country Office-WCO) द्वारा विकसित किया गया था।

वैश्विक स्वास्थ्य चिंताएँ एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन

World Health Concerns & WHO:

पर्यावरण प्रदूषण एवं जलवायु परिवर्तन

(Air Pollution and Climate Change):

  • पूरे विश्व में प्रतिदिन दस में से नौ लोग प्रदूषित हवा में साँस लेते हैं। वर्ष 2019 में WHO द्वारा वायु प्रदूषण को स्वास्थ्य के लिये सबसे बड़ा पर्यावरणीय जोखिम माना गया है।
  • हवा के साथ सूक्ष्म प्रदूषक श्वसन और रक्त संचार तंत्र में प्रवेश कर फेफड़ों, हृदय एवं मस्तिष्क को नुकसान पहुँचा सकते हैं जिससे कैंसर, स्ट्रोक, हृदय और फेफड़ों की बीमारी जैसे रोगों से प्रतिवर्ष 7 मिलियन लोगों की असामयिक मौत हो जाती है।
  • वायु प्रदूषण का प्राथमिक कारण (जीवाश्म ईंधन जलाना) भी जलवायु परिवर्तन में एक प्रमुख योगदानकर्त्ता है जो विभिन्न प्रकार से लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।
  • वर्ष 2030 से वर्ष 2050 के दौरान जलवायु परिवर्तन के कारण प्रतिवर्ष कुपोषण, मलेरिया, डायरिया और हीट स्ट्रेस (Heat Stress) से 2,50,000 अतिरिक्त मौतें होने की संभावना है।

गैर-संक्रामक रोग

(Noncommunicable Diseases):

  • गैर-संक्रामक रोग जैसे- मधुमेह, कैंसर एवं हृदय रोग संपूर्ण विश्व में कुल मौतों के 70% से अधिक अथवा 41 मिलियन लोगों की मृत्यु के लिये सामूहिक रूप से ज़िम्मेदार हैं।
  • WHO के अनुसार, इन रोगों में वृद्धि के पाँच प्रमुख कारण तंबाकू का उपयोग, शारीरिक निष्क्रियता, शराब का अविवेकपूर्ण उपयोग, अस्वास्थ्यकर आहार एवं वायु प्रदूषण हैं।
  • 15-19 वर्ष के बच्चों में आत्महत्या मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण है।

वैश्विक इन्फ्लूएंज़ा महामारी

(Global Influenza Pandemic):

  • WHO महामारी के संभावित कारणों का पता लगाने के लिये इन्फ्लूएंज़ा वायरस के प्रसार की लगातार निगरानी कर रहा है। 114 देशों के 153 संस्थान इस वैश्विक निगरानी एवं प्रतिक्रिया में शामिल हैं।

नाजुक एवं सुभेद्य परिस्थितियाँ

(Fragile and Vulnerable Settings):

  • 1.6 बिलियन से अधिक लोग (वैश्विक आबादी का 22%) उन स्थानों में रहते हैं जहां दीर्घकालिक संकट (सूखा, अकाल, संघर्ष एवं जनसंख्या विस्थापन जैसी साझा चुनौतियाँ) की स्थितियाँ होती हैं तथा कमज़ोर स्वास्थ्य सेवाओं के कारण वे बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित रह जाते हैं।

रोगाणुरोधी प्रतिरोध

(Antimicrobial Resistance):

  • यह एक ऐसी समस्या है जिसमें बैक्टीरिया, परजीवी, वायरस और कवक आधुनिक दवाओं के प्रति प्रतिरोधी क्षमता उत्पन्न कर लेते हैं जिससे विभिन्न संक्रमणों का आसानी से इलाज करने में कठिनाई होती है।
  • संक्रमण को रोकने में असमर्थता के कारण सर्जरी एवं कीमोथेरेपी जैसी गंभीर प्रक्रियाओं को अपनाना पड़ता है।
  • दवा प्रतिरोध, लोगों में एंटीमाइक्रोबियल (Antimicrobial) के अत्यधिक प्रयोग से उत्पन्न होता है।
  • WHO द्वारा रोगाणुरोधी के विवेकपूर्ण उपयोग को प्रोत्साहित कर संक्रमण को कम करने तथा रोगाणुरोधी प्रतिरोध से निपटने हेतु लोगों में जागरूकता एवं ज्ञान वृद्धि के लिये एक वैश्विक कार्ययोजना को लागू करने पर कार्य किया जा रहा है।

इबोला एवं अन्य गंभीर रोगजनक

(Ebola and Other High-Threat Pathogens):

  • वर्ष 2018 में डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में 1 मिलियन से अधिक जनसंख्या वाले दो अलग-अलग शहरों में इबोला का प्रकोप देखा गया था। प्रभावित प्रांतों में से एक सक्रिय संघर्ष क्षेत्र भी है।
  • WHO का अनुसंधान एवं विकास ब्लूप्रिंट (WHO’s R&D Blueprint) उन बीमारियों और रोगजनकों की पहचान करता है जिनके कारण सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल की स्थिति उत्पन्न होती है परंतु उनके लिये प्रभावी उपचार तथा टीकों का अभाव होता है।
  • WHO इसकी सहायता से इबोला, कई अन्य रक्तस्रावी बुखार जैसे- जीका, निपाह, मध्य पूर्व श्वसन सिंड्रोम, कोरोनावायरस (MERS-CoV) और गंभीर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (SARS) जैसी वैश्विक स्वास्थ्य समस्याओं के निवारण के क्षेत्र में कार्य करता है।.
  • प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएँ आमतौर पर लोगों की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के साथ पहला संपर्क बिंदु होती हैं तथा सभी देशों को अपने नागरिकों को जीवन भर व्यापक, सस्ती, समुदाय-आधारित सेवाएँ प्रदान करने का प्रयास करना चाहिये।

डेंगू

(Dengue):

  • यह एक मच्छर जनित बीमारी है जो फ्लू जैसे लक्षणों का कारण बनती है और गंभीर रूप से डेंगू से पीड़ित 20% लोगों में घातक एवं जानलेवा साबित हो सकती है, जो दशकों से एक गंभीर चुनौती बनी हुई है।
  • बांग्लादेश और भारत आदि देशों में वर्षा ऋतु में बहुत अधिक संख्या में डेंगू के मामले सामने आते हैं।
  • अब इन देशों के डेंगू से प्रभावित होने की अवधि में काफी वृद्धि हो रही है (वर्ष 2018 में बांग्लादेश में लगभग दो दशकों में सबसे ज़्यादा मौतें हुईं)।
  • अब यह बीमारी नेपाल जैसे उन कम उष्णकटिबंधीय एवं अधिक समशीतोष्ण देशों में फैल रही है जिन्होंने परंपरागत रूप से इस बीमारी का सामना नहीं किया है।
  • WHO की डेंगू नियंत्रण रणनीति (WHO’s Dengue Control Strategy) का उद्देश्य वर्ष 2020 तक डेंगू से होने वाली मौतों को 50% तक कम करना है।

एचआईवी

(HIV):

  • लोगों में एचआईवी परीक्षण के संदर्भ में व्यापक प्रगति देखी जा रही है तथा लगभग 22 मिलियन प्रभावितों को एंटीरेट्रोवाइरल (Antiretrovirals) उपचार प्रदान किया जा रहा है तथा प्री एक्सपोज़र प्रोफिलैक्सिस (Pre-exposure Prophylaxis) जैसे निवारक उपायों तक पहुँच स्थापित की जा रही है। (जब लोगों को एचआईवी का जोखिम होता है तो एचआईवी संक्रमण को रोकने के लिये एंटीरेट्रोवाइरल उपचार प्रदान किया जाता है)।
  • आज संपूर्ण विश्व में लगभग 37 मिलियन लोग एचआईवी से ग्रस्त हैं।
  • 15-24 वर्ष आयु वर्ग की युवा लड़कियाँ और महिलाएँ एचआईवी से अधिक प्रभावित हो रही हैं जो कि एक गंभीर समस्या है।
  • WHO देशों के साथ स्व-परीक्षण की शुरुआत का समर्थन करने के लिये काम कर रहा है ताकि अधिक से अधिक एचआईवी संक्रमित लोगों को उनकी स्थिति का पता चल सके तथा वे उपचार (निवारक उपाय) प्राप्त कर सकें।

WHO की संगठनात्मक चुनौतियाँ

(WHOs' Organisational Challenges):

  • WHO देशों से सुरक्षित वित्तपोषण के बजाय मुख्य रूप से समृद्ध देशों एवं बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन जैसी संस्थाओं द्वारा प्रदत्त फंड्स पर निर्भर है।
  • परिणामस्वरूप वर्तमान में WHO का 80% वित्त उन कार्यक्रमों से संबंधित है जिन्हें फंड देने वालों द्वारा चुना जाता है। WHO के महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम अल्प वित्तपोषित हैं क्योंकि इन कार्यक्रमों को निर्धारित करने में फंड देने वाली संस्थाओं और समृद्ध एवं विकसित देशों के बीच हितों का टकराव होता है।
  • नतीजतन वैश्विक स्वास्थ्य क्षेत्र में एक प्रतिनिधि के रूप में WHO की भूमिका को विश्व बैंक जैसे अन्य अंतर-सरकारी निकायों द्वारा और बड़े प्रतिष्ठानों द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया है।
  • वर्ष 2014 में पश्चिम अफ्रीका में फैली इबोला महामारी को खत्म करने में इसके अपर्याप्त प्रदर्शन के बाद संगठन की प्रभावकारिता सवालों के घेरे में आ गई है।
  • WHO में अपर्याप्त वित्तपोषण, योजना, कर्मचारी एवं पदाधिकारियों की कमी भी इसकी एक प्रमुख चुनौती है।